Khajuraho Mandir : खजुराहो के मंदिर

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Khajuraho Mandir:

Khajuraho Mandir, भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर, अपने विशाल संपत्ति , और दुर्लभ वास्तुकला को प्रदर्शित करते हैं, और खजुराहो के ये मंदिर इसी विशाल संपत्ति  और संस्कृति का एक छोटा सा हिस्सा हैं। ये मंदिर भारतीय संस्कृति के उन महत्वपूर्ण हिस्सो में से एक हैं, जो अपनी विशेष वास्तुकला और आकर्षण के लिए जाने जाते हैं। आइये, आगे हम खजुराहो के मंदिरों के बारे में तथा, उनके इतिहास, संरचना और महत्व को विस्तार से जानेंगे।

Khajuraho City:

खजुराहो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा या खजूरी के नाम से भी जाना जाता था। खजुराहो का नाम खजुराहो इसलिए पड़ा क्योंकि यहां पर खजूर का विशाल बगीचा था।

Khajuraho Mandir: खजुराहो के मंदिर

खजुराहो के मंदिर मध्य प्रदेश के छत्तरपुर जिले में स्थित हैं और ये भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं। ये मंदिर वैदिक सांस्कृतिक परंपरा के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और भारतीय वास्तुकला के अद्वितीय उदाहरण माने जाते हैं। खजुराहो के मंदिरों की विशेषता उनकी शिल्पकला और उनके वास्तुकला में है।

इन मंदिरों की दीवारों पर चित्रित शिल्पकला और मूर्तियाँ उनके अद्वितीय रूप को दर्शाती हैं। यहां पर वीर भद्र, अप्सराएं, देवताओं के चित्र, और वास्तुकला की अद्वितीय डिज़ाइन देखने को मिलते हैं। मुख्य रूप से, खजुराहो के मंदिर तीन प्रमुख क्षेत्र में बाँटे जा क्षेत्र के सकते हैं – पश्चिमी मंदिर समूह, मध्य मंदिर समूह, और पूर्वी मंदिर समूह-

पश्चिमी समूह के मंदिर:

  1. चौसठ योगिनी मंदिर
  2. कंदरिया महादेव मंदिर
  3. देवी जगदंबा मंदिर
  4. चित्रगुप्त या भरतजी का मंदिर
  5. विश्वनाथ मंदिर (नंदी मंदिर)
  6. लक्ष्मण मंदिर

पूर्व समूह के मंदिर:

  1. ब्रह्मा मंदिर
  2. वामन मंदिर
  3. घंटाई मंदिर
  4. पार्श्वनाथ जैन मंदिर

दक्षिणी समूह के मंदिर:

  1. दुलादेव मंदिर
  2. जटकारी या चतुर्भुज मंदिर

नीचे हम कुछ महत्वपूर्ण पूर्ण मंदिरो के बारे में विस्तार से देखेंगे।

Khajuraho Group of Monuments:

मंदिरो की भव्यता, प्राचीनता और अदभुत वास्तुकला को देखते हुए UNESCO ने 1986 में Khajuraho Group of Monuments को UNESCO WORLD HERITAGE SITE (विश्व धरोहर) घोसित कर दिया।

खजुराहो के मंदिरों का इतिहास: History Of Khajuraho Temples

खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल राजवंश के राजाओं द्वारा 10वीं और 11वीं सदी में किया गया था।और इनका उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक सामरस्य को बढ़ावा देना था। इन मंदिरों का निर्माण मुख्य रूप से खजुराहो नगर के महाराजा यशोवर्मन द्वितीय के समय में हुआ था लेकिन इनका आरंभ श्रुंगेरी देव ने किया था। ये मंदिर मुख्य रूप से हिन्दू और जैन धर्म के लिए बनाए गए थे। इनके निर्माण में अद्वितीय वास्तुकला का प्रयोग हुआ है, जो इन्हें एक अद्वितीय धर्मिक स्थल बनाता है।

Khajuraho Temple Architecture/ Khajuraho Temple Sculpture:

खजुराहो के मंदिर नागर शैली के मंदिरों का एक शानदार उदाहरण हैं क्योंकि इन मंदिरों में एक पवित्र गर्भगृह, एक संकीर्ण अंतराला, एक महामंडप , एक मंडप या नेव और बड़ी खिड़कियों द्वारा प्रकाशित एक प्रदक्षिणा-पथ शामिल हैं।खजुराहो के मंदिर अपनी कामुक मूर्तिकला (sensual sculpture) के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं

खजुराहो के मुख्य मंदिर: Places to Visit In Khajuraho

1. लक्षमण मंदिर: Lakshmana Temple

लक्षमण मंदिर खजुराहो के प्रमुख मंदिरों में से एक है, और इसे 10वीं और 11वीं सदी के चंदेल राजा यशोवर्मन द्वितीय ने बनवाया था। इसकी मुख्य विशेषता इसकी शिल्पकला और अलंकरण में दिखती है, जो इसे एक अनोखा बनाती है। यह मंदिर भगवान लक्ष्मण को समर्पित है।

इस पंचायतन शैली के मंदिर की बाहरी दीवारों पर असंख्य मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं, जो चंदेल राजाओं की शिल्पकला कुशलता और उनकी समझ का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। इन मूर्तियों की विविधता में कुछ छोटी, कुछ बड़ी, और कुछ उनसे भी बड़ी मूर्तियाँ हैं, जिनमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है।

इन मूर्तियों में काम, उत्तेजना, और वासना का अद्वितीय शिल्प है, जो आश्चर्यचकित कर देता है। इससे यह प्रतित होता है कि काम, क्रोध, उत्तेजना, और वासना जैसे मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को सांस्कृतिक दृष्टि से दर्शाने का प्रयास किया गया है।

लक्षमण मंदिर ने खजुराहो के समाज में महिलाओं की एक विशेष भूमिका का भी प्रतिनिधित्व किया है, जो इस साहसी राजवंश के समय में रही हो सकती है। खजुराहो का यह बहुत पुराना मंदिर पश्चिमी खजुराहो में स्थित है और इस मंदिर के द्वार पर ब्रह्मा, विष्णु, और महेश की मूर्तियाँ विराजमान हैं।

2. कंदरिया महादेव मंदिर:

यह मंदिर खजुराहो के पूर्वी  भाग में स्थित है और इसका निर्माण भगवान शिव के लिए किया गया था। इसकी मूर्तियाँ विशेष रूप से भगवान शिव की लीलाओं को प्रकट करती हैं। इस मंदिर का निर्माण राजा विद्याधर ने मोहम्मद गजनवी को दूसरी बार परास्त करने के बाद 1065 ई. के आसपास करवाया था। खजुराहो में चंदेल राजाओं ने लगभग 85 मंदिरों का निर्माण कराया था, जिनमें 22 मंदिर विश्व की महान कलात्मक आश्चर्यों का अद्वितीय उदाहरण हैं। सबसे प्रमुख “कंदरिया महादेव मंदिर” है, जिसकी ऊंचाई 31 मीटर है और यह भगवान शिव को समर्पित है।

“कंदरिया मंदिर” को इसलिए “कंदरिया” मंदिर कहा जाता है क्योंकि “कंदेर” का मतलब होता है गुफा, और जब आप इस मंदिर के अंदर जाते हैं, तो आपको ऐसा लगता है कि आप एक गुफा के अंदर जा रहे हैं। इसकी बाहरी दीवारों पर भी शिल्पकला कृतियों को बड़े कारीगरी के साथ उतारा गया है । बाहरी दीवारों पर ऊपर से नीचे तक तीन मूर्तियाँ कामसूत्र के सुंदर उदाहरण है । इन मूर्तियों में आलिंगन, चुंबन, और संभोग को बहुत ही बोल्ड रूप में दिखाया गया है, खासकर 3 स्त्रीओं के साथ एक पुरुष का संभोग, विशेष आकर्षण का केंद्र है ।

3. नंदी मंदिर: Nandi Temple/ Nandi Mandap

नंदी मंदिर खजुराहो का एक प्रमुख मंदिर है, जो विश्वनाथ मंदिर के सामने स्थित है। इस मंदिर में नंदी भगवान की प्रतिमा है, जो हिंदू देवता शिव के वाहन के रूप में जाने जाते हैं। नंदी मंदिर में आपको एक नंदी भगवान की शानदार पत्थर की बनी प्रतिमा दिखाई देगी, जो भगवान शिव के मंदिर की ओर मुख करके विराजमान है। इस प्रतिमा के ऊपर कुछ खूबसूरत नक्काशी भी है, जो बहुत आकर्षक है। यह प्रतिमा बड़ी है और पत्थर से बनी है।

नंदी मंदिर या नंदी मंडप पश्चिमी मंदिर समूह का मुख्य मंदिर है, और यह विश्वनाथ मंदिर के भाग में आता है। इस मंडप की छत वृत्ताकार है और यह 12 स्तंभों पर आधारित है। नंदी मंदिर की दीवारों पर हाथी की अद्भुत नक्काशी भी है, जो पूरे मंदिर की दीवारों पर है। यह मंदिर पिरामिड आकार का है।

विश्वनाथ मंदिर में शिव भगवान की मूर्ति देखने के बाद और मूर्तिकला का आनंद लेने के बाद, आप नंदी भगवान की प्रतिमा का दर्शन कर सकते हैं । यह मंदिर भी ऊँचे चबूतरे पर है। नंदी भगवान की प्रतिमा बहुत गरिमामय दिखती है और इसके चारों ओर स्तंभ हैं, जो देखने के लिए हैं, और आप प्रतिमा के चारों ओर परिक्रमा कर सकते हैं जिसके लिए यहां पर आराम से जगह मिल जाती है।

4. चित्रगुप्त मंदिर:

यहां की दीवारों पर जनजीवन एवं श्रमिक को दर्शाया गया है। आलिंगन के विभिन्न रूपों को उत्क्रिस्ट रूप से प्रदर्शित किया गया है तथा गर्भगृह में भगवान शिव की प्रतिमा विराजमान है। बगल मैं चित्रगुप्त जी लेखनी कर रहे हैं।

5. दुलादेव मंदिर:

यह एक हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ मां पार्वती की एक अद्भुत प्रतिमा स्थित है। यह मंदिर नारियों और अप्सराओं की सुंदर प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है।

6. मतंगेश्वर मंदिर:

यह मंदिर खजुराहो के पश्चिमी मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में बहुत ही अद्भुत और बड़ा शिवलिंग स्थित है। यह मंदिर भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय है। हिंदू धर्म में आदि काल से ही भगवान शिव की पूजा करी जाती रही है।

7. पार्श्वनाथ मंदिर:

प्रमुख जैन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर खजुराहो के छतरपुर जिले में स्थित है। यह मंदिर आदिनाथ को भी समर्पित है। आदिनाथ भारतीय संस्कृति, सभ्यता के प्राचीन देवता माने जाते हैं। यह मंदिर जैन धर्म के बारे में बताता है।

8. जवारी मंदिर:

जवारी मंदिर खजुराहो  में आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है। यह मंदिर अपनी अदभुत बनावट के लिए जाना जाता है। इस मंदिर का नाम यहां की जमीन के मालिक के नाम पर रखा गया था।

पास के पर्यटन स्थल:

यहां के प्राकृतिक सौदर्य और पास के पर्यटन स्थलों का भी आनंद लिया जा सकता है, जो इस स्थल को एक पूरी तरह से अद्वितीय अनुभव बना देते हैं। पास के कुछ अति सुन्दर पर्यटन स्थल इस प्रकार है-

1. राजगढ़ पैलेस:

राजगढ़ पैलेस भी खजुराहो से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह एक प्राचीन किला है जो चंदेल राजवंश के समय बनाया गया था।

2. राजा यशोवर्मन का दरबार:

 इस दरबार का नाम सार्ज़ना दरबार है और यह भी खजुराहो में प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां चंदेल राजवंश के राजाओं का इतिहास और विरासत देखी जा सकती है।

3. रनेश Waterfalls:

यह पर्यटकों के लिए रोमांचकारी पर्यटक स्थल है। मानसून के समय में यह झरना अत्यंत ही सुंदर लगता है। यहां की सुंदरता सिर्फ झरना ही नहीं चट्टाने भी हैं। इन चट्टानों को देख कर के ऐसा लगता है मानो चट्टानों को ऊपर से काट दिया गया हो।

4. पन्ना National Park:

अगर आप जंगली जानवरों को देखने के लिए काफी उत्सुक है तो पन्ना नेशनल पार्क जरूर घूमे। प्रकृति ने जितना सुंदर इस जगह को बनाया है उस में चार चांद लगाने के लिए यह पाक एक सितारे की तरह है।यह स्थान बहुत ही खूबसूरत है यहां आपको तेंदुए बाघ जिराफ लकड़बग्घा आदि जानवर देखने को मिलते हैं। इस पार्क में केन नदी भी है जिसमें बैठकर आप पूरे पार्क का आनंद उठा सकते हैं।

5. बेनीसागर बांध:

यह बांध खजुराहो शहर के बाहरी इलाके में स्थित है। यह बांध खुदारी नदी पर बनाया गया है। इसके आसपास का वातावरण मन को शांति पहुंचाता है। यह पिकनिक स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहां का वातावरण अत्यंत ही लुभावनी है।

खजुराहो के मंदिरों पर नंगे मूर्तियों का राज:

खजुराहो के मंदिरों पर नंगे मूर्तियों का  होना एक महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय विशेषता है जो इन मंदिरों को प्रसिद्ध बनाती है। यह विशेषता खजुराहो के मंदिरों को ‘खजुराहो के अद्वितीय मंदिर’ के रूप में जाने जाते हैं।
कहते हैं कि चंदेल राजाओं के समय लोग योग और भोग दोनों को मोक्ष का साधन मानते थे। ये मूर्तियां उनके क्रियाकलापों की ही देन हैं। शास्त्र कहते हैं कि संभोग भी मोक्ष प्राप्त करने का एक साधन हो सकता है।

1. पौराणिक कारण:

इन मूर्तियों के साथ जुड़ी एक कथा बहुत प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि एक दिन राजपुरोहित हेमराज की बेटी हेमवती शाम को एक सरोवर में स्नान करने गई। उस समय, जब आकाश में चंद्रदेव स्नान करते हुए हेमवती को देखते हैं, तो उनका मन विचलित हो गया। इस बीच, वे सुंदर हेमवती के सामने प्रकट हो गए और उन्होंने उससे प्रणय निवेदन किया। कहा जाता है कि उनके इस प्यार से एक पुत्र का जन्म हुआ, और बड़े होने पर उसी ने चंदेल वंश की स्थापना की। हेमवती ने समाज के भय से इस पुत्र को करणावती नदी के किनारे पर पाला पोसा और उसका नाम चंद्रवर्मन रख दिया।

बड़ा होकर चंद्रवर्मन एक महान राजा बना। एक दिन, उसकी मां हेमवती ने सपने में उसे दिखाया कि कैसे मंदिरों का निर्माण करना चाहिए, जो समाज को यह सिखाए कि कामेच्छा भी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इस इच्छा को पूरा करने वाले व्यक्ति को कभी भी दोषी नहीं माना जाना चाहिए।

चंद्रवर्मन ने अपनी मां का कहा माना और ऐसे मंदिर को बनवाने के लिए उन्‍होंने खजुराहो को चुना। इसे अपनी राजधानी बनाकर उसने यहां 85 वेदियों का एक विशाल यज्ञ भी कराया। बाद में इन्हीं वेदियों की जगह पर 85 मंदिर बनवाए गए थे। लेकिन आज 85 में से आज यहां केवल 22 मंदिर बचे हैं। 14वीं शताब्दी में चंदेलों के खजुराहो से जाने के बाद वह दौर खत्‍म हो गया।

2. तांत्रिक साधना:

कहते हैं कि चंदेल राजाओं के समय इस क्षेत्र में तांत्रिक समुदाय की वाममार्गी शाखा का वर्चस्व था। यह मान्यता है कि खजुराहो के मंदिर तांत्रिक साधना के लिए उपयोग हुए थे, जिसमें शरीर की अंगों का विशेष महत्व था। नंगे मूर्तियाँ शरीर के अंगों को प्रस्तुत करके इस तांत्रिक अभ्यास को प्रकट करती थीं।

3. सौन्दर्य और आकर्षण का प्रतीक:

इन मंदिरों की शिल्पकला और मूर्तियाँ अपने आकर्षक और सौंदर्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये चित्रित मूर्तियाँ धार्मिक और आकर्षकता के संयोजन का प्रतीक हो सकती हैं और यह दिखाती हैं कि समृद्धि और धर्म का संयोजन कैसे संभव है।

4. भारतीय कला और संस्कृति का प्रतीक:

खजुराहो के मंदिरों में नंगे मूर्तियाँ भारतीय कला और संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से को प्रस्तुत करती हैं। इनकी विशेषता और सौन्दर्य का प्रतीक बनकर वे आज भी कला और सांस्कृतिक आधार के रूप में महत्वपूर्ण हैं।

खजुराहो के मंदिरों में नंगे मूर्तियों का स्थान उनकी पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं को प्रस्तुत करने के साथ-साथ भारतीय कला और संस्कृति के महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में भी महत्वपूर्ण हैं।

खजुराहो के मंदिरों का महत्व:

1. आकर्षण और पर्यटन:

खजुराहो के मंदिर विश्व भर के पर्यटकों के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। यहां के मंदिरों की शिल्पकला और वास्तुकला का आकर्षण हर किसी को मोहित कर देता है।

2. धार्मिक महत्व:

 इन मंदिरों के अलावा, खजुराहो में धार्मिक समारोह भी आयोजित होते हैं, जो भारतीय संस्कृति और धर्म को प्रमोट करते हैं।

3. विशेष चित्रकला:

खजुराहो के मंदिरों की शिल्पकला और मूर्तियाँ विश्व में अनुपम मानी जाती हैं। इनकी चित्रकला और अदभुत वास्तुकला से परिपूर्ण बनायी गई मूर्तियाँ विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

खजुराहो के मंदिर भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और ये अपनी श्रेष्ठता और ब्रूटल शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों को दर्शन से हम अपने देश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व महसूस करते हैं और भारतीय संस्कृति के सौन्दर्य को सराहते हैं। इन मंदिरों की अद्वितीयता और सौन्दर्य आज भी पर्यटकों और शिल्पकला प्रेमियों को प्रभावित करती है।

Hotels In Khajuraho:

खजुराहो मंदिर के आस पास बहुत सारे सस्ते और अच्छे होटल मिल जाते हैं। इसके अलावा कुछ Luxarious होटल भी मिलते हैं जैसे-

Ramada Khajuraho:

  1. Location: Ramada Hotel Khajuraho is situated in the heart of the historic town of Khajuraho.
  2. Address: Airport Rd, Sevagram, Khajuraho, Madhya Pradesh 471606 India. Tel: +91-7686-297000/1
  3. Access: The hotel is conveniently located just 3 kilometers away from Khajuraho Railway Station and 2 kilometers away from the Khajuraho Airport.

Raddison Khajuraho:

  1. Location and Address: By Pass Road, Khajuraho 471606, Madhya Pradesh, India. Tel: +91 7686297044
  2. Access: It is 1.25 km away from city center and 5.7 km from Khajuraho Airport.

FAQ:

Who built Khajuraho Temple?

Khajuraho Temple was built by emperors of Chandel Dynasty between 900 CE to 1130 CE in Khajuraho.

What is Architecture of Khajuraho Temple?

The Temples of Khajuraho are built on Nagara Style Architecture which consist of a sanctum, a narrow ante-chamber called antarala, a transept called mahamandapa, additional halls called ardha mandapa, a mandapa or nave and an ambulatory passage called Pradakshina-path which is lighted by large windows.

Why are the khajuraho Temples famous for?

The temples are famous for their sensual sculptures and their nagara-style architecture.

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